एक लड़की,
मीरा के गीतों सी इतराती,
ग़ालिब की ग़ज़लों सी शर्माती,
बच्चन की मधुशाला सी मुस्काती,
प्रसाद की कामायनी सी इठलाती,
महादेवी की कविताओं का सौंदर्य रस लपेटे,
सितारों की झिलमिलाहट बदन पर समेटे,
सागर से गहरे लोचन, मोतियों से झरते वचन,
त्वचा सोने सी कंचन, परियों सा सुन्दर बदन,
मक्खन से कोमल गाल, घटाओं से गहरे बाल,
हिरणी सी मदमस्त चाल,
गुलाबों से गुलाबी होंठ, जैसे 2000 का नया नोट,
सुराही सी लम्बी neck, जैसे paytm का cashback.
नागिन सी बलखाती कमर,
overall अप्सराओं से भी सुन्दर,
जाड़े की नटखट सी sunshine में,
खड़ी थी एक ATM की लाइन में.
कि लोगो की धक्का-मुक्की में, उसका बैलेंस बिगड़ गया,
और उसका पाँव पीछे खड़े लड़के के पाँव पर पड़ गया.
इससे पहले लड़का चिल्लाता, कुछ बोल पाता,
उसकी नज़रे लड़की की नज़रों से मिल गयी,
और उसकी जुबां वहीं सिल गयी.
लड़के को आया बड़ा स्वाद,
वो धीरे से बोला मोदीजी धन्यवाद!
लड़की बोली, पहली दफा देखा मैंने ऐसे अल्पबोधि को,
चढ़ी मैं तेरे ऊपर और धन्यवाद मोदी को.
तो कुछ इसप्रकार, प्रेम के इतिहास में पहली बार,
न किसी बार में, न किसी कार में, मोदी सरकार में,
इश्क़ हो रहा था ATM की कतार में.
इधर प्रेम के आसमान में एक नए सूरज का उदय हुआ,
उधर लाइन में अपने हीरो-हीरोइन का आपस में परिचय हुआ.
लड़के की बातें लड़की को भा गईं,
और लड़की भी लड़के के दिल में भीतर तक समा गई.
इसके बाद के दृश्य घनघोर प्रेम से भरपूर रहे थे,
दोनों प्रेमी बस एक दूजे को घूर रहे थे.
न किसी शर्म न लाज में,
लड़का बोला रोमांटिक अंदाज़ में,
कि एक-एक पल एक दिन के बराबर होता,
काश कि ऐसी कोई घड़ी होती,
कितना अच्छा होता अगर ये लाइन और बड़ी होती.
लड़की बोली कि समय की इस कमी से हम क्यूँ घबराते हैं,
एक काम करते हैं लाइन में सबसे पीछे लग जाते हैं.
लड़के को यह प्रस्ताव बहुत पसंद आया,
पर शायद पीछे खड़े uncle को बिलकुल नहीं भाया,
वो बड़े गौर से ये हरकतें देख रहे थे,
इसी बहाने अपनी आँखें सेंक रहे थे.
ATM Card लिए हाथ में, वे कूद पड़े बीच बात में,
बोले कि बातें सुनी हैं मैंने सारी ध्यान से,
कुछ आँखों से, कुछ कान से.
अब ये बताओ छोकरे!
कि line में लगने के अलावा भी कोई काम करते हो?
या ऐसे ही खड़े-खड़े अपनी सुबह को शाम करते हो?
इतना सुनते ही उसका सारा romance रुक गया,
और सर शर्म से झुक गया.
बड़ी रुंध आवाज़ में, बोला मजबूर अंदाज़ में,
कि uncle, नोटेबंदी के इस दौर में, मैं मंदी की मार हूँ,
इंजीनियर हूँ और फिलहाल बेरोजगार हूँ.
uncle बोले तेरे जैसे इंजीनियरों को,
मैं पहचान लेता हूँ हजारों में,
बहुत लौंडे लगे होते हैं,
ऐसे ATM की कतारों में.
और सुन बेटी न कोई भरोसा है इन इंजीनियरों का,
न इनकी कमाई का,
तुम्हें मंजूर हो तो मेरे बेटे से शादी करलो,
वो बैंक मैनेजर है SBI का.
और मेरी बातें सुनकर इतनी हैरान न हो,
मुझे यहाँ खड़ा देखकर यूँ परेशान न हो.
मैं तो घर पर खाली बैठा-बैठा,
अपनी बीवी की डाँट खाता हूँ.
इसलिए अपनी बहू ढूँढ़ने,
इन कतारों में चला आता हूँ.
लड़की को अंकल की बात में दम लगा,
उसे लड़के का पेशा उसके प्यार से कम लगा.
बोली कि प्रेम सिर्फ मीठी-मीठी बातों में नहीं खो सकता,
'भले ही अंधा हो सकता है, पर बेवकूफ नहीं हो सकता'.
इसी प्रकार प्रेम के इतिहास में एक और सिद्धांत की खोज हो गई,
और ये प्रेम की किताब भी खुलने से पहले ही close हो गई.
PENNED BY: ADARSH JAIN
मीरा के गीतों सी इतराती,
ग़ालिब की ग़ज़लों सी शर्माती,
बच्चन की मधुशाला सी मुस्काती,
प्रसाद की कामायनी सी इठलाती,
महादेवी की कविताओं का सौंदर्य रस लपेटे,
सितारों की झिलमिलाहट बदन पर समेटे,
सागर से गहरे लोचन, मोतियों से झरते वचन,
त्वचा सोने सी कंचन, परियों सा सुन्दर बदन,
मक्खन से कोमल गाल, घटाओं से गहरे बाल,
हिरणी सी मदमस्त चाल,
गुलाबों से गुलाबी होंठ, जैसे 2000 का नया नोट,
सुराही सी लम्बी neck, जैसे paytm का cashback.
नागिन सी बलखाती कमर,
overall अप्सराओं से भी सुन्दर,
जाड़े की नटखट सी sunshine में,
खड़ी थी एक ATM की लाइन में.
कि लोगो की धक्का-मुक्की में, उसका बैलेंस बिगड़ गया,
और उसका पाँव पीछे खड़े लड़के के पाँव पर पड़ गया.
इससे पहले लड़का चिल्लाता, कुछ बोल पाता,
उसकी नज़रे लड़की की नज़रों से मिल गयी,
और उसकी जुबां वहीं सिल गयी.
लड़के को आया बड़ा स्वाद,
वो धीरे से बोला मोदीजी धन्यवाद!
लड़की बोली, पहली दफा देखा मैंने ऐसे अल्पबोधि को,
चढ़ी मैं तेरे ऊपर और धन्यवाद मोदी को.
तो कुछ इसप्रकार, प्रेम के इतिहास में पहली बार,
न किसी बार में, न किसी कार में, मोदी सरकार में,
इश्क़ हो रहा था ATM की कतार में.
इधर प्रेम के आसमान में एक नए सूरज का उदय हुआ,
उधर लाइन में अपने हीरो-हीरोइन का आपस में परिचय हुआ.
लड़के की बातें लड़की को भा गईं,
और लड़की भी लड़के के दिल में भीतर तक समा गई.
इसके बाद के दृश्य घनघोर प्रेम से भरपूर रहे थे,
दोनों प्रेमी बस एक दूजे को घूर रहे थे.
न किसी शर्म न लाज में,
लड़का बोला रोमांटिक अंदाज़ में,
कि एक-एक पल एक दिन के बराबर होता,
काश कि ऐसी कोई घड़ी होती,
कितना अच्छा होता अगर ये लाइन और बड़ी होती.
लड़की बोली कि समय की इस कमी से हम क्यूँ घबराते हैं,
एक काम करते हैं लाइन में सबसे पीछे लग जाते हैं.
लड़के को यह प्रस्ताव बहुत पसंद आया,
पर शायद पीछे खड़े uncle को बिलकुल नहीं भाया,
वो बड़े गौर से ये हरकतें देख रहे थे,
इसी बहाने अपनी आँखें सेंक रहे थे.
ATM Card लिए हाथ में, वे कूद पड़े बीच बात में,
बोले कि बातें सुनी हैं मैंने सारी ध्यान से,
कुछ आँखों से, कुछ कान से.
अब ये बताओ छोकरे!
कि line में लगने के अलावा भी कोई काम करते हो?
या ऐसे ही खड़े-खड़े अपनी सुबह को शाम करते हो?
इतना सुनते ही उसका सारा romance रुक गया,
और सर शर्म से झुक गया.
बड़ी रुंध आवाज़ में, बोला मजबूर अंदाज़ में,
कि uncle, नोटेबंदी के इस दौर में, मैं मंदी की मार हूँ,
इंजीनियर हूँ और फिलहाल बेरोजगार हूँ.
uncle बोले तेरे जैसे इंजीनियरों को,
मैं पहचान लेता हूँ हजारों में,
बहुत लौंडे लगे होते हैं,
ऐसे ATM की कतारों में.
और सुन बेटी न कोई भरोसा है इन इंजीनियरों का,
न इनकी कमाई का,
तुम्हें मंजूर हो तो मेरे बेटे से शादी करलो,
वो बैंक मैनेजर है SBI का.
और मेरी बातें सुनकर इतनी हैरान न हो,
मुझे यहाँ खड़ा देखकर यूँ परेशान न हो.
मैं तो घर पर खाली बैठा-बैठा,
अपनी बीवी की डाँट खाता हूँ.
इसलिए अपनी बहू ढूँढ़ने,
इन कतारों में चला आता हूँ.
लड़की को अंकल की बात में दम लगा,
उसे लड़के का पेशा उसके प्यार से कम लगा.
बोली कि प्रेम सिर्फ मीठी-मीठी बातों में नहीं खो सकता,
'भले ही अंधा हो सकता है, पर बेवकूफ नहीं हो सकता'.
इसी प्रकार प्रेम के इतिहास में एक और सिद्धांत की खोज हो गई,
और ये प्रेम की किताब भी खुलने से पहले ही close हो गई.
PENNED BY: ADARSH JAIN