Saturday 6 January 2018

तुझे गज़लों में गाता हूँ, तेरे ही गीत सुनाता हूँ....

तुझे गज़लों में गाता हूँ,
तेरे ही गीत सुनाता हूँ,
तेरी यादों के रंग लेकर,
तेरी तस्वीर बनाता हूँ...


मेरे कमरे की जो खिड़की है, आज मुझसे ये कहती है,
कि वो सामने जो लड़की थी, अब कहाँ वो रहती है,
क्या उसको ये मालूम है, क्या उसको खबर ये है,
कि हवा भी रूठ बैठी है, उसके जाने का असर ये है,


मैं न जवाब देता हूँ, न खामोश रह पाता हूँ,
होठों पर हौले से बस एक मुस्कान ले आता हूँ...


तुझे गज़लों में गाता हूँ, तेरे ही गीत सुनाता हूँ....


ना पाने की कोई उम्मीद, ना ही आस बाकी है,
फिर दिल में क्यूँ मेरे अज़ब सी प्यास बाकी है,
तुझे भूलने की कोशिश में, तू फिर याद आई है,
मेरी आँखों के पानी में, तेरी बातों की परछाई है.


दिन में आज ख्वाबों ने जो कहा, वो सुनाता हूँ,
कि नींद में भी तेरा ही मैं, बस नाम लिए जाता हूँ...

तुझे गज़लों में गाता हूँ, तेरे ही गीत सुनाता हूँ....

WRITTEN BY: ADARSH JAIN

शक्कर हैं!

बातें उसकी बात नही हैं, शक्कर हैं। सोच उसे जो गज़ल कही हैं, शक्कर हैं। बाकी दुनिया की सब यादें फीकी हैं, उसके संग जो याद रही हैं, शक्कर हैं।...