Saturday 12 December 2020

जब जीवन में कुछ....

 
जब जीवन में कुछ अच्छा करने लगता हूँ,
अपनी फितरत से धोखा करने लगता हूँ,

अव्वल सबका झगड़ा सुलझाने जाता हूँ,
फिर खुद ही सबसे झगड़ा करने लगता हूँ। 

हर काम अधूरा करने की कैसी ज़िद है,
एक नहीं होता, अगला करने लगता हूँ।

पहले ख्वाबों के चित्र, रंगीन बनाता हूँ,
फिर धीरे धीरे धुँधला करने लगता हूँ।

दूर कभी कुछ यादों से भागा करता हूँ,
फिर खुद ही उनका पीछा करने लगता हूँ।

बाल सँवारने की कुछ तो मेरी आदत है,
कुछ तुमसे मिलकर ज़्यादा करने लगता हूँ।

- आदर्श जैन

शक्कर हैं!

बातें उसकी बात नही हैं, शक्कर हैं। सोच उसे जो गज़ल कही हैं, शक्कर हैं। बाकी दुनिया की सब यादें फीकी हैं, उसके संग जो याद रही हैं, शक्कर हैं।...