कोई जो देखता है तो देखकर हैरां रह जाता है,
हर सम्त बरसता है बादल पर सहरा, रह जाता है,
क्या सारी शक्लें सारी सूरत इक जैसी होती हैं?
या बसकर इन आंखों में, तेरा चेहरा रह जाता है।
कोई बंदिश या पाबंदी इश्क़ को रोक नहीं पाती,
आशिक़ भाग ही जाते हैं अक्सर, पहरा रह जाता है।
अच्छा ही है कि छलक जाए नयनों तक आई पीड़ा,
क्यूंकि लहू बन जाता है आंसू, गर ठहरा रह जाता है।
होली में कोई पक्का रंग बहुत देर नहीं टिकता,
बस लाल गुलाल लगाया उनका गहरा रह जाता है।
- आदर्श जैन