Saturday, 11 September 2021

ऐसी वैसी बातों...


ऐसी वैसी बातों से क्या होना है,
संबंधों का ही चाहे बुरा होना है,

रोते रोते जग में आंखें खोली थीं,
रोते रोते ही जग से विदा होना है।

पगले! सोच लिया फिर घबराना कैसा,
अंधेरा आगे और घना होना है।

फिर तो बर्बादी भी अपनी निश्चित है,
बस काबिल होकर हमको गुमां होना है।

तुमसे हमको केवल दोस्ती करनी है,
पर उससे पहले तुम्हें खुदा होना है।

क्या होना है आखिर सब पढ़ लेने से,
कुछ भी न जाना बस ये पता होना है।

तुम्हारी ही नज़रों से दुनिया देखी है,
तुम्हारी ही आंखों में फ़ना होना है।

- आदर्श जैन

शक्कर हैं!

बातें उसकी बात नही हैं, शक्कर हैं। सोच उसे जो गज़ल कही हैं, शक्कर हैं। बाकी दुनिया की सब यादें फीकी हैं, उसके संग जो याद रही हैं, शक्कर हैं।...