Wednesday 15 January 2020

जी कमाल !

अफ़वाहों की खबरें, खबरों का अकाल, जी कमाल!
अजी, क्या पूछा आपने?मुल्क का हाल? जी कमाल!

हम चाहते भी तो कैसे समझते, कोई हसरत आपकी,
आपके ही नियम फिर आपका ही बवाल, जी कमाल!

ना उलझते तो क्या करते बेचारे, शब्दों के सच्चे मानी,
झूठ का बिछाया आपने, ऐसा सुंदर जाल, जी कमाल!

'हमसे बेहतर भी कोई, क्या शुभचिंतक रहा है आपका?'
एक तो आपका अंदाज़ ऊपर से ये सवाल, जी कमाल!

जानते है कि आज नहीं तो कल, पकड़ा जाएगा ढोंग,
फिर भी चल पड़ते है कौवे, हंस की चाल, जी कमाल!

- आदर्श जैन

Friday 3 January 2020

बस कुछ दूर और...

एक पेड़ की छांव में ,
धूप से हताश होकर,
बैठ गया एक मुसाफिर,
सफर से उदास होकर।
तभी बोला एक तोता,
पास ही के शजर से,
कि ये नहीं वो मंज़िल है,
जिसे पाने निकले थे घर से।
ये कामयाबी नहीं है वो,
असल मुकाम हुज़ूर और है,
जिस सुकून को खोज रहे हो,
वो बस कुछ दूर और है।।
हिम्मत जुटाई, हौंसला पाया,
चल पड़ा आगे मुसाफिर,
बहुत दूर तक निकल आया,
पीछे न देखा मुड़कर फिर।
पर जाना कहां था भूल गया,
'बस कुछ दूर और' याद रहा,
आगे बढ़ने की कश्मकश में,
सफर उसका बर्बाद रहा।
चलते चलते जाने कब,
वो पार जीवन के आ गया,
फिर वही शजर और वही तोता,
बैठा उस पर पा गया।
तोते से अब पूछा उसने,
मेरी मंज़िल कहां है आखिर,
कहां मेरा अंतिम ठौर है,
तोते ने फिर वही कहा उससे,
बस कुछ दूर, बस कुछ दूर,
बस कुछ दूर और है।

- आदर्श जैन

शक्कर हैं!

बातें उसकी बात नही हैं, शक्कर हैं। सोच उसे जो गज़ल कही हैं, शक्कर हैं। बाकी दुनिया की सब यादें फीकी हैं, उसके संग जो याद रही हैं, शक्कर हैं।...