अफ़वाहों की खबरें, खबरों का अकाल, जी कमाल!
अजी, क्या पूछा आपने?मुल्क का हाल? जी कमाल!
हम चाहते भी तो कैसे समझते, कोई हसरत आपकी,
आपके ही नियम फिर आपका ही बवाल, जी कमाल!
ना उलझते तो क्या करते बेचारे, शब्दों के सच्चे मानी,
झूठ का बिछाया आपने, ऐसा सुंदर जाल, जी कमाल!
'हमसे बेहतर भी कोई, क्या शुभचिंतक रहा है आपका?'
एक तो आपका अंदाज़ ऊपर से ये सवाल, जी कमाल!
जानते है कि आज नहीं तो कल, पकड़ा जाएगा ढोंग,
फिर भी चल पड़ते है कौवे, हंस की चाल, जी कमाल!
- आदर्श जैन
अजी, क्या पूछा आपने?मुल्क का हाल? जी कमाल!
हम चाहते भी तो कैसे समझते, कोई हसरत आपकी,
आपके ही नियम फिर आपका ही बवाल, जी कमाल!
ना उलझते तो क्या करते बेचारे, शब्दों के सच्चे मानी,
झूठ का बिछाया आपने, ऐसा सुंदर जाल, जी कमाल!
'हमसे बेहतर भी कोई, क्या शुभचिंतक रहा है आपका?'
एक तो आपका अंदाज़ ऊपर से ये सवाल, जी कमाल!
जानते है कि आज नहीं तो कल, पकड़ा जाएगा ढोंग,
फिर भी चल पड़ते है कौवे, हंस की चाल, जी कमाल!
- आदर्श जैन