Friday 14 June 2019

आवाज़ गूंजती रहती है...

भाग्यलेखों से तन्हाई मेरी, अक्सर जूझती रहती है,
इन बेतरतीब रेखाओं में बस, तुम्हें ढूंढती रहती है।

मैं  सोचता हूं ये धड़कनें, आखिर क्या गाती रहती हैं,
तुम चली जाती हो पर तुम्हारी, आवाज़ गूंजती रहती है।

एक दिल है मेरा जो तुम्हारी आंखे तकता रहता है,
एक आंखे है तुम्हारी जिन्हें हमेशा, बात सूझती रहती है।

कौन है वो कि जिसकी खातिर मैं खोया खोया रहता हूं,
मेरे ख़्वाब पूछते रहते हैं, मेरी नींद पूछती रहती है।

- आदर्श जैन

Saturday 1 June 2019

रात गुज़र गई होगी...

इन टूटे फूटे सितारों की तो तक़दीर संवर गई होगी,
तुम्हारी ही खुशबू होगी जो अंबर में बिखर गई होगी,

तुम्हें जो देखा फिर इन आँखों को होश ही कहाँ रहा,
ये चाँद निहारती रही होंगी और रात गुज़र गई होगी।

वो नींद जो हर शाम चक्कर काटती थी मेरी पलकों के,
आज किस ठाँव रुकी होगी, आज किसके घर गई होगी।

वे नासमझ है जो पूछ रहे हैं कारण, बेमौसम बरसात का,
अरे, मेरी दास्तां सुनकर, बादलों की आंख भर गई होगी।

- आदर्श जैन

शक्कर हैं!

बातें उसकी बात नही हैं, शक्कर हैं। सोच उसे जो गज़ल कही हैं, शक्कर हैं। बाकी दुनिया की सब यादें फीकी हैं, उसके संग जो याद रही हैं, शक्कर हैं।...