Saturday, 27 July 2019

मेरा ख़याल आता होगा...

अपना गम आखिर किसको बताता होगा,
ये दरिया अपने आंसू, कहां छुपाता होगा।

 मेरे तसव्वुर में बस उसके खयाल बसते है,
क्या उसे भी कभी मेरा खयाल आता होगा।

कैसे हम दोनों इक दूजे की आंखे पढ़ लेते हैं,
पिछले जन्म का हमारा, कोई तो नाता होगा।

कहते हैं इस मिट्टी में इक अलग सी खुशबू है,
कोई फ़कीर यहां अपनी चादर बिछाता होगा।

खुद को खोकर दूजे को पाना आता है उसको,
वो मोहब्बत और इबादत बराबर निभाता होगा।

उसकी आंखो में हमेशा, सूरज रोशन रहते हैं,
वो अपनी पलकों पर रोज़ ख़्वाब सजाता होगा।

- आदर्श जैन

Friday, 19 July 2019

संभव है !


टूटी मन की वीणा पर आशाओं के स्वर,
फिर गीत कोई सजा पाए तो संभव है।
चोटिल सपनों की पीड़ाओं को ये आंसू,
आंखो की प्यास बना पाए तो संभव है।

जब हौंसलों को लगें डराने अनजानी राहें,
विपत्तियां हों खड़ी जब सामने फैलाकर बाहें,
जब दूर तलक ये नज़र सिर्फ अंधियारे देखे,
भाग्य में हों लिखे जब प्रतिकूल विधि के लेखे।

सहमी हिम्मतों से किया तब हर प्रयास,
नई कोशिशों को जगा पाए तो संभव है।
चोटिल सपनों की पीड़ाओं को ये आंसू,
आंखो की प्यास बना पाए तो संभव है।

जब तेज़ समय की आंधियों में दम घुटने लगे,
परिश्रम की नीतियों से जब भरोसा उठने लगे,
जब सांसे हर फैसले का जोखिम नापने लगें,
आगे बढ़ने से पहले ही जब पांव कांपने लगें।

नसों में मचलती तब कोई विकल चीख,
प्राणों में अंगार जला पाए तो संभव है।
चोटिल सपनों की पीड़ाओं को ये आंसू,
आंखो की प्यास बना पाए तो संभव है।

- आदर्श जैन

शक्कर हैं!

बातें उसकी बात नही हैं, शक्कर हैं। सोच उसे जो गज़ल कही हैं, शक्कर हैं। बाकी दुनिया की सब यादें फीकी हैं, उसके संग जो याद रही हैं, शक्कर हैं।...