Friday 19 July 2019

संभव है !


टूटी मन की वीणा पर आशाओं के स्वर,
फिर गीत कोई सजा पाए तो संभव है।
चोटिल सपनों की पीड़ाओं को ये आंसू,
आंखो की प्यास बना पाए तो संभव है।

जब हौंसलों को लगें डराने अनजानी राहें,
विपत्तियां हों खड़ी जब सामने फैलाकर बाहें,
जब दूर तलक ये नज़र सिर्फ अंधियारे देखे,
भाग्य में हों लिखे जब प्रतिकूल विधि के लेखे।

सहमी हिम्मतों से किया तब हर प्रयास,
नई कोशिशों को जगा पाए तो संभव है।
चोटिल सपनों की पीड़ाओं को ये आंसू,
आंखो की प्यास बना पाए तो संभव है।

जब तेज़ समय की आंधियों में दम घुटने लगे,
परिश्रम की नीतियों से जब भरोसा उठने लगे,
जब सांसे हर फैसले का जोखिम नापने लगें,
आगे बढ़ने से पहले ही जब पांव कांपने लगें।

नसों में मचलती तब कोई विकल चीख,
प्राणों में अंगार जला पाए तो संभव है।
चोटिल सपनों की पीड़ाओं को ये आंसू,
आंखो की प्यास बना पाए तो संभव है।

- आदर्श जैन

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