अपना गम आखिर किसको बताता होगा,
ये दरिया अपने आंसू, कहां छुपाता होगा।
मेरे तसव्वुर में बस उसके खयाल बसते है,
क्या उसे भी कभी मेरा खयाल आता होगा।
कैसे हम दोनों इक दूजे की आंखे पढ़ लेते हैं,
पिछले जन्म का हमारा, कोई तो नाता होगा।
कहते हैं इस मिट्टी में इक अलग सी खुशबू है,
कोई फ़कीर यहां अपनी चादर बिछाता होगा।
खुद को खोकर दूजे को पाना आता है उसको,
वो मोहब्बत और इबादत बराबर निभाता होगा।
उसकी आंखो में हमेशा, सूरज रोशन रहते हैं,
वो अपनी पलकों पर रोज़ ख़्वाब सजाता होगा।
- आदर्श जैन
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