रह रहकर लगता है, जो न होता है,
वो कब होता है जो होना होता है,
हर इक बात पे नम होने वाली आँखें,
रोती नहीं अक्सर जब रोना होता है।
उल्लास समझ सकता है घर का आँगन,
दर्द समझने को इक कोना होता है।
क्या ज़ुल्म कि मुझको नींद नहीं आती,
तुमसे ख़्वाबों में मिलने, सोना होता है।
दूर वहाँ बादल में इक जादूगर है,
दुनिया क्या है, जादू टोना होता है ।
दोस्त, यही कुछ दस्तूर ज़माने का है,
कुछ पाना है तो कुछ खोना होता है।
- आदर्श जैन
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