Wednesday 13 December 2023

शक्कर हैं!

बातें उसकी बात नही हैं, शक्कर हैं।

सोच उसे जो गज़ल कही हैं, शक्कर हैं।


बाकी दुनिया की सब यादें फीकी हैं,

उसके संग जो याद रही हैं, शक्कर हैं।


नैनों से निकलीं और नदी खारी हैं,

हिज्र में जो भी झील बही हैं, शक्कर हैं।


रंजिश में जो ज़ख्म मिले, कड़वे हैं,

उलफ़त में जो चोट सही हैं, शक्कर हैं।


फिर खट्टे होकर सब लम्हें बीत गए,

उससे झगड़े साल यही हैं, शक्कर हैं।

- आदर्श जैन

Wednesday 16 March 2022

...जो होना होता है

रह रहकर लगता हैजो  होता है,

वो कब होता है जो होना होता है,


हर इक बात पे नम होने वाली आँखें,

रोती नहीं अक्सर जब रोना होता है।


उल्लास समझ सकता है घर का आँगन,

दर्द समझने को इक कोना होता है।


क्या ज़ुल्म कि मुझको नींद नहीं आती,

तुमसे ख़्वाबों में मिलनेसोना होता है।


दूर वहाँ बादल में इक जादूगर है,

दुनिया क्या हैजादू टोना होता है  


दोस्तयही कुछ दस्तूर ज़माने का है,

कुछ पाना है तो कुछ खोना होता है। 


 - आदर्श जैन

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Saturday 1 January 2022

अजनबी से कोई...

अजनबी सी कोई एक धुन की तरफ,

सारे मानक ही हम तोड़कर चल दिए।


तितलियां क्यूं फिज़ा में ये उड़ने लगीं,

मन में कैसी तरंगे ये उठने लगीं,

ख्वाब किसका ये पलकों पे सजने लगा,

धड़कने दिल की किससे ये जुड़ने लगीं।


प्रश्न जो आज से हल नहीं हो सके,

कल पे फिर, उन्हें हम छोड़कर चल दिए।


फासला है मगर कोई दूरी नहीं,

बात करने को बातें भी ज़रूरी नहीं,

इक कहानी जो पूरी नहीं है मगर,

इक कहानी जो फिर भी अधूरी नहीं।


दो अलग जिंदगी, दो अलग रास्ते,

एक ही रंग को ओढ़कर चल दिए।


डूबती आस को फिर सतह मिल गई,

रोशनी को तिमिर में जगह मिल गई,

तर्क कितने ही शंका ने क्यूं ना दिए,

पर भरोसे को आखिर वजह मिल गई।


दूर होने के थे कई बहाने मगर,

टूटती प्रीत हम जोड़कर चल दिए। 


- आदर्श जैन


Wednesday 10 November 2021

मुझे इसका अंदाज़ नहीं..

 कहने को तो पास मिरे कहने को ही अल्फ़ाज़ नहीं,

ऐसा पर नामुमकिन है, शब्द नहीं तो जज़्बात नहीं,


कुछ ख्वाबों की इच्छा है बादल के ऊपर उड़ने की,

इन ख्वाबों की किस्मत में पर, कोई भी परवाज़ नहीं।


तेरी सांसों में अब मेरी सांसो की भी खुशबू है,

मेरे भीतर भी केवल अब मेरी ही आवाज़ नहीं।


बोसा देकर रंग चुरा लूं, इतनी ही चालाकी है,

दिल की तेरे पीर चुरा लूं, इतना भी चालाक नहीं।


क्या? तेरे ख्यालों के बाहर भी इक दुनिया होती है!

अच्छा! होती होगी! खैर मुझे इसका अंदाज़ नहीं।


- आदर्श जैन

Thursday 21 October 2021

हम दोनों..

 होते होते फिर इक दिन, अब पागल होंगे हम दोनों,

धरती होंगे हम दोनों और बादल होंगे हम दोनों,


कब सोचा था हमने तुमने,  इतनी बातें कर लेंगे,

कब सोचा था इक दूजे की आदत होंगे हम दोनों।


अपने अपने जीवन में हम दरिया जैसे होते थे,

कब सोचा था मिलकर इक दिन, सागर होंगे हम दोनों।


जब जब दुनिया की जंगों से चोटें खाकर लौटेंगे,

अपने सब घावों की पहली राहत होंगे हम दोनों।


यादों की सूखी मिट्टी पर जब जब सावन आएगा,

आंखों में पहली बारिश की आहट होंगे हम दोनों।


गर सपनों से बाहर आकर सोचें तो, डर लगता है!

डर लगता है, जब भी बिछड़े, घायल होंगे हम दोनों।


- आदर्श जैन

Saturday 11 September 2021

ऐसी वैसी बातों...


ऐसी वैसी बातों से क्या होना है,
संबंधों का ही चाहे बुरा होना है,

रोते रोते जग में आंखें खोली थीं,
रोते रोते ही जग से विदा होना है।

पगले! सोच लिया फिर घबराना कैसा,
अंधेरा आगे और घना होना है।

फिर तो बर्बादी भी अपनी निश्चित है,
बस काबिल होकर हमको गुमां होना है।

तुमसे हमको केवल दोस्ती करनी है,
पर उससे पहले तुम्हें खुदा होना है।

क्या होना है आखिर सब पढ़ लेने से,
कुछ भी न जाना बस ये पता होना है।

तुम्हारी ही नज़रों से दुनिया देखी है,
तुम्हारी ही आंखों में फ़ना होना है।

- आदर्श जैन

Thursday 1 April 2021

कोई जो देखता है...

 

कोई जो देखता है तो देखकर हैरां रह जाता है,

हर सम्त बरसता है बादल पर सहरा, रह जाता है,


क्या सारी शक्लें सारी सूरत इक जैसी होती हैं?

या बसकर इन आंखों में, तेरा चेहरा रह जाता है।


कोई बंदिश या पाबंदी  इश्क़ को  रोक नहीं पाती,

आशिक़ भाग ही जाते हैं अक्सर, पहरा रह जाता है।


अच्छा ही है कि छलक जाए नयनों तक आई पीड़ा,

क्यूंकि लहू बन जाता है आंसू, गर ठहरा रह जाता है।


होली में कोई पक्का रंग बहुत देर नहीं टिकता,

बस लाल गुलाल लगाया उनका गहरा रह जाता है।


- आदर्श जैन

शक्कर हैं!

बातें उसकी बात नही हैं, शक्कर हैं। सोच उसे जो गज़ल कही हैं, शक्कर हैं। बाकी दुनिया की सब यादें फीकी हैं, उसके संग जो याद रही हैं, शक्कर हैं।...