मैं अमरकंटक की पहाड़ी हूँ, खजुराहो का इतिहास भी हूँ,
ग्वालियर का राजसी रुतबा भी, और इंदौरी मिठास भी हूँ,
मैं जबलपुर की शीतलता हूँ और शान हूँ भोपाल की,
मैं पचमढ़ी की रमणीयता और नगरी हूँ महाकाल की,
मैं हूँ पन्ना का अनमोल रत्न और कान्हा का उद्यान भी,
मैं चित्रकूट की धर्मनगरी और ओंकारेश्वर का ध्यान भी,
मैं निर्मलता हूँ नर्मदा की और चंचलता हूँ चम्बल की,
देवता तक खाते सौगंध जिसके पवित्र पावन जल की,
मैं भेड़ाघाट का चमत्कार हूँ, भीमबेटिका की दीवार भी हूँ,
मैं साँची का पवित्र स्तूप और मंदसौर का प्यार भी हूँ.
संस्कृति के व्याकरण में, मैं मिश्री भाषा की घोल रहा हूँ,
मुझे ह्रदय से सुनना यारों, मैं ह्रदय देश का बोल रहा हूँ.
मैं कला- कौशल का पोषक हूँ, मैंने कई फनकारों को जन्म दिया है,
मेरे कई बेटों की प्रतिभाओं ने, मेरी माटी को धन्य किया है,
तानसेन का अमर संगीत और निदा फ़ाज़ली की ग़ज़ल हूँ मैं,
मैं चंद्रशेखर की आज़ादी हूँ और राजनीति का अटल हूँ मैं,
मैं स्वर कोकिला लता मंगेशकर हूँ, तो अभिनय का अशोक कुमार भी हूँ,
मैं शरद जोशी का हास्य-व्यंग्य, तो सत्यार्थी का नोबेल पुरूष्कार भी हूँ,
मैं तात्या टोपे का स्वतंत्रता संग्राम और अम्बेडकर का संविधान हूँ,
मैं अवन्ती बाई की वीर गाथा और रानी लक्ष्मी का स्वाभिमान हूँ,
सफलता के अमृत में, मैं रंग प्रतिभा के घोल रहा हूँ,
मुझे ह्रदय से सुनना यारों, मैं ह्रदय देश का बोल रहा हूँ.
-आदर्श जैन
Who am I???😁
ReplyDeleteHey, sorry forgot to mention. This was written for Madhya Pradesh divas with Madhya Pradesh itself as the protagonist.
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