इंसाफ की अदालत में, कल झूठ का काफिला निकला,
सच्चाई के वकीलों को, सच कहने से गिला निकला,
हम पट्टी बाँधकर आँखों पर, यकीं न्याय में करते रहे,
पर यहाँ तो क़ानून खुद, कातिल से मिला निकला.
जब आँधियाँ चलीं मुसीबत की, तो पाँव रिश्तों के उखड़ने लगे,
पर जो मुस्कुराता खड़ा रहा, वो मेरा हौंसला निकला.
उस चेहरे को अफ़साना समझकर, कब का भुला चुका था मैं,
आज फिर उसका जिक्र आया, आज फिर यादो का सिलसिला निकला.
चंद लाठियों की सोहबत में, वो मेरी खुद्दारी खरीद रहा था,
वो बाहर से जितना दबंग दिखा, भीतर से उतना पिलपिला निकला.
ये सियासत का प्रपंच था, जो अब जाकर समझ आया,
कि सपनों में जितनी उम्मीदें थी, उतना हकीकत से फासला निकला.
मेरी मजबूरी के लतीफे बनाकर, तो बाज़ारों मे खूब ठहाके मारे थे,
अब जब खुद का मौका आया, तो ये निजी मामला निकला.
PENNED BY : ADARSH JAIN
सच्चाई के वकीलों को, सच कहने से गिला निकला,
हम पट्टी बाँधकर आँखों पर, यकीं न्याय में करते रहे,
पर यहाँ तो क़ानून खुद, कातिल से मिला निकला.
जब आँधियाँ चलीं मुसीबत की, तो पाँव रिश्तों के उखड़ने लगे,
पर जो मुस्कुराता खड़ा रहा, वो मेरा हौंसला निकला.
उस चेहरे को अफ़साना समझकर, कब का भुला चुका था मैं,
आज फिर उसका जिक्र आया, आज फिर यादो का सिलसिला निकला.
चंद लाठियों की सोहबत में, वो मेरी खुद्दारी खरीद रहा था,
वो बाहर से जितना दबंग दिखा, भीतर से उतना पिलपिला निकला.
ये सियासत का प्रपंच था, जो अब जाकर समझ आया,
कि सपनों में जितनी उम्मीदें थी, उतना हकीकत से फासला निकला.
मेरी मजबूरी के लतीफे बनाकर, तो बाज़ारों मे खूब ठहाके मारे थे,
अब जब खुद का मौका आया, तो ये निजी मामला निकला.
PENNED BY : ADARSH JAIN
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