Wednesday 6 June 2018

बस एक तुम्हारे होने से..

अश्रुपूरित कुसुम ये सारे और अश्रुपूरित उनकी कलियाँ,
सदियों से आँखें बिछाए निर्जन पड़ी बंजारी गलियाँ,
किसी बादल की प्रतीक्षा में, निशदिन दरारें गिनती ज़मीन,
वक़्त के निर्मम प्रहारों से, निरंतर क्षीण होता यकीन,
हर मायूसी हँस देती है ,तुम्हारे अधरों पर मुस्कान संजोने से
सबको जीवन मिल जाता है, बस एक तुम्हारे होने से.

गीत नए लिख लायी है कोयल, नए मौसम की कशिश में,
सारंग भी नाचा है ऐसे, जैसे भांग मिली हो बारिश में,
प्रफुल्लित मन की शाखों पर, झूले उमंगो ने डाले हैं,
आंसुओं के हाथों में आज, खुशियों से भरे प्याले हैं.
तुम्हारा ही नाम गूँज रहा है, सृष्टि के हरेक कोने से,
हर क्षण उत्सव हो जाता है, बस एक तुम्हारे होने से.

भाषा नयी सीख ली है, ह्रदय के पुराने घावों ने,
शहद ग़ज़लों का चखा है, खुरदुरे मन के भावों ने,
शर्तों के अनुबंधन से, ख्वाब रेतीले फिसल गए हैं,
बहरूपिये शब्द मिलकर, नज़्मों में जैसे ढल गए हैं.
सम्मानित हो जाती है बोली, तुम्हे कविता में पिरोने से,
मैं शायर बन जाता हूँ, बस एक तुम्हारे होने से.

PENNED BY : ADARSH JAIN


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शक्कर हैं!

बातें उसकी बात नही हैं, शक्कर हैं। सोच उसे जो गज़ल कही हैं, शक्कर हैं। बाकी दुनिया की सब यादें फीकी हैं, उसके संग जो याद रही हैं, शक्कर हैं।...