Sunday 24 June 2018

बीच बाज़ार में..

हंगामा नहीं था, फिर भी मची थी हलचल, आज बीच बाज़ार में,
दिनदहाड़े हुए थे कई क़त्ल,आज बीच बाज़ार में,
वो परी थी, अप्सरा थी, या थी कोई मेनका,
जब गुज़री खुशबुओं के बादल ओढ़कर,
अच्छे-अच्छे विश्वामित्र भी गए फिसल, आज बीच बाज़ार में.

ज्वेलरी वाले सोनीजी या कॉस्मेटिक्स वाले लालाजी,
फल वाला बनवारी या कपड़े वाले निराला जी  ,
या चाय वाला बिरजू जिसकी नुक्कड़ पर दुकान है,
या चौबेजी मिठाई वाले, जिनके मिलावटी पकवान हैं.
इन सभी को वो मल्लिका-ए-हुस्न इतनी बेजोड़ लग गयी,
कि सभी दुकानदारों में उसे अपनी दुकान पर बुलाने क होड़ लग गई.
फिर तो न किसी ने फिक्र की मर्यादा की,
न बाज़ार के तक़ाज़ों का ही कुछ ख़याल किया,
उसे कुछ चाहिए भी या नहीं , ये भी नहीं किसी ने सवाल किया.

इससे पहले कोई और उसे अपनी दूकान पर बुलाये,
ज्वेलरी वाले सोनीजी भीतर से ही चिल्लाये,
हे ! चाँदी जैसी काया वाली,
हे! माणिक जैसी माया वाली,
ये तेरे सौंदर्य का सम्मोहन है, या कोई जादू-टोना है,
तू जो भी है, कसम हीरे की, २४-कैरट सोना है.
तेरे रूप के मोहपाश में ख्वाब सुनहरे सज रहे है,
जब से तुझको देखा  है, दिल में घुंघरू बज रहे हैं.
कि छनकने वाली पायल है, रत्नों वाला हार भी है,
तेरे लिए विशेष छूट है, तेरे लिए उपहार भी है,
फ़िरोज़ाबाद की चूड़ियाँ भी हैं, कंगन भी  हैं देहली वाले,
एक बार तू आजा प्रिय, झुमके भी  हैं बरेली वाले.

इस डर से कि कहीं ये लक्ष्मी ,
सोनीजी की दूकान पर न चली जाये,
कपड़े वाले निराला जी ने भी निराले सुर लगाए.

कि 'निराला' उसको भी हीरो बना दे, जो निपट अनाड़ी हो,
और तुम तो रेशम सी हो नाज़ुक, जैसे बनारसी साड़ी हो,
तुम सूती भी ओढ़ो अगर तो मखमल जैसा खिल जाये,
नाम बदलकर रख देना, अगर कहीं और ऐसा मिल जाये.
आधुनिक परिधान भी हैं, पारम्परिक लहँगे भी,
सैकड़ों मनमोहक डिज़ाइन हैं, सस्ते भी  हैं, महंगे भी. .
फिक्र न करो पसंद की तुम, मैं "मैचिंग" मिलवा दूंगा,
तुम्हार खातिर ओ प्रिय!, मैं डिस्काउंट भी दिलवा दूंगा.

अपनी भावनाओं में निराला जी ज्यादा ही बहने वाले थे,
मगर कॉस्मेटिक्स वाले लालजी भी कहाँ पीछे रहने वाले थे.
५५ साल क उम्र में भी, उनमें जवानी की भूख झलकती थी ,
इश्क़ का जुनूँ कायम था, भले मुँह से लार टपकती थी.
पहले तो उन्होंने रंगीन होना चाहा,
मगर फिर गंभीरता से कहा,

"माना कि रूपवती हो, सुंदरता की खान हो तुम,
आकर्षक हो, मनमोहक हो, धड़कते दिलों की जान हो तुम,
भले कितनी ही खूबसूरत हो, पर बात ज़रूर जान लो,
ये काया एक दिन ढल जाएगी , ये कटु सत्य भी मान लो.
मगर मेकअप का सामान जो दुकान से मेरी ले जाओगी,
तो फिर जीवन में, कसम 'बोरो प्लस' की,
कभी बुढ़ापा नहीं देख पाओगी  .
लिपस्टिक ले जाओ, नेल-पॉलिश ले जाओ,
या ले जाओ आाँखों का मसकारा,
एक बार जो इस्तेमाल करोगी , तो फिर मांगोगी दोबारा."

चौबेजी दूर से ही सारा नज़ारा देख रहे थे,
चुपचाप खड़े होकर अपनी आाँखें सेंक रहे थे,
फिर कारोबार के इस कर्मयुद्ध में, वे दिल के द्वार खोल गए,
लालाजी की बात पर वे, बीच में ही बोल गए,
"हे जानेमन! तेरा ध्यान किधर है, चौबे मिठाई वाला इधर है,
जब से तेरा दीदार हुआ है, शुगर हुई है या प्यार हुआ है,
जलेबी जैसी तेरी कमर देखकर, मेरे दिल में पटाखे छूट रहे हैं,
अब क्या बताऊँ मन में मेरे, बूंदी के लड्डू फूट रहे हैं
मन करता है, मोहल्ले में सबको, दही की लस्सी पिलवा दूँ,
एक बार जो तू दुकान पर आजा, तो काजू कतली खिलवा दूँ!."

ये सुनकर बोला फलवाला बनवारी,
कि हे चीकू सी चुलबुली, हे स्ट्रॉबेरी सी प्यारी,
संतरे जैसा रंग है तेरा, लीची जैसे नैन,
अंगूर सी तू चंचल है, अनार सी बेचैन.
क्या कहूँ, मेरी नज़र में ,तू पूरी फ्रूट सलाद है,
मेरी दुकान पर आजा, बस इतनी सी फरियाद है.

तभी वहाँ किसी व्यक्ति ने थोड़ी समझदारी दिखाई,
उससे पूछने की ज़हमत उठाई,
कि हे मोहतरमा! किस सोच में या किस विचार में हैं,
क्यों खड़ी आप बीच बाजार में हैं?
उसके जवाब ने दिल कईयों के तोड़ दिए,
जो अरमान उन्होंने पाल लिए थे, वो वहीं अधूरे छोड़ दिए.
जब उसने कहा, कि हैरत हुई देखकर इस बाजार के व्यापारी,
जाने क्यों पीछे पड़े हैं, जब नहीं करनी कुछ खरीददारी,
अब तो मैं इनके इरादों से भी डर रही हूँ,
इतनी देर से खड़े होकर,यहाँ इंतज़ार बॉयफ्रेंड का कर रही हूँ.

PENNED BY: ADARSH JAIN

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