Sunday 16 December 2018

चुनावी शादी

कुछ घरवालों की अनुमति से, कुछ आपसी सहमति से,
मोहब्बत ने जब कदम मिलाये चुनावों की गति से,
तो 'फलानी' पार्टी के युवा नेता 'विकास' का ब्याह तय हुआ,
'ढिकानी' पार्टी की लोकप्रिय महिला नेता 'प्रगति' से.

संसद के इसी शीतकालीन सत्र में,
होगा विवाह, लिखा था निमंत्रण पत्र में
पत्र में तो और भी चीजें थी मजेदार,
जैसे नाम के स्थान पर छपवाया था 'आधार'.
कुंडलियों को भी शायद राजनैतिक विशेषज्ञों से मिलवाया था,
तभी परिचय में पूरा चुनावी इश्तहार लिखवाया था.
लिखा था कि, जन-जन की यही पुकार है,
दूल्हा हमारा कर्मठ, जुझारू और ईमानदार है.
दुल्हन भी न केवल सुन्दर और सुशील है,
बल्कि लोकप्रिय, मिलनसार और लगनशील है.
आयोजन स्थल में भी वही मैदान लिखा था,
जहाँ अक्सर रैलियाँ और धरने होते हैं,
ये वो साधारण शादी नहीं थी कि जिसमें,
मैरिज हॉल और होटल बुक करने होते हैं.
हर छोटी-बड़ी बात पर आयोजकों का ध्यान था,
निमंत्रण पत्र में ही एक और ऐलान था,
कि, "विरोधियों द्वारा भले ही,
इस आयोजन को मनोरंजन कहा जाएगा,
पर असल में ये पहला ऐसा विवाह होगा,
जो सही मायने में गठबंधन कहलायगा."

देखते ही देखते ये खबर, ख़बरों में छा गयी,
और फिर जल्द ही वो शुभ घड़ी भी आ गयी.
रिवाज़ों की लम्बी फेहरिश्त में अब वक़्त है एक रीत का,
चलिए पहला दृश्य देखते हैं महिला संगीत का.

दूल्हा-दुल्हन के जरुरी रिश्तेदार मंच पर चढ़े हैं,
और दोनों पार्टियों के कार्यकर्ता हमेशा की तरह मैदान में खड़े हैं.
कौन कार्यकर्ता किस पार्टी का है,
इसे पहचानने का बड़ा टंटा है,
इसलिए 'ढिकानी' पार्टी के कार्यकर्ता खाली हाथ हैं,
और 'फलानी' वालों के हाथ में उनका चुनाव चिन्ह 'घंटा' है.
महिला संगीत में संगीत नहीं बल्कि रिश्तेदारों के भाषण हो रहे हैं,
कुछ रिश्तेदार अपनी बारी के इंतज़ार में हैं, बाकी मजे में सो रहे हैं.
ढिकानी पार्टी के कार्यकर्ता,
भाषणों के बीच में 'ज़िंदाबाद' चिल्ला देते हैं,
वहीं फलानी पार्टी के कार्यकर्ता हैं,
जो समर्थन में घंटा बजा देते हैं.

अब बाकी सभी चीजों को इग्नोर करते हैं,
और कैमरे का मुँह भोजन व्यवस्था की ओर करते हैं.
क्यूँकि शादी में कई बड़े नेता मेहमान हैं,
इसलिए सबकी पसंद का ख़ास ध्यान हैं.
एक तरफ जहाँ, पीने वालों के लिए जाम है
वहीं दूसरी तरफ खाने का भी भरपूर इंतज़ाम है.
वेज है, नॉनवेज है और मिठाईयों का पिटारा भी है,
और तो और, विशेष व्यंजन में 'कोयला' और 'चारा' भी है
पर ये क्या, यहाँ तो कुछ मेहमान मुंह छिपा रहे हैं,
और कुछ हैं जो हंगामा मचा रहे हैं.

इससे पहले कि बखेड़ा खड़ा हो बिना बात का,
अगला सीन देखते हैं नेताजी की बारात का.

टल्ली होकर 'फलानी' पार्टी के कार्यकर्ता ढील में हैं,
अपने नेता को घोड़ी पर देखकर, थोड़ी 'फील' में हैं.
कोई वोट मांगने घरों में फिसल रहा है, कोई नशे में संभल रहा है,
उन्हें लग रहा है कि ये उनके नेता का 'रोड शो' चल रहा है.
इतने में पता चला कि बारात का गरम ज़रा मिजाज़ हो गया है,
'डांस' के लिए न पूछने पर दूल्हे का फूफा नाराज़ हो गया है.
तभी एक कार्यकर्ता ने चुनावी पैंतरा अपनाया,
पूरी सांस खींचकर ये नारा लगाया,
कि "10 के पाव, 20 की भाजी,
अब नाचेंगे, नेताजी के फूफाजी,
इतना सुनकर फूफा फूला नहीं समाया,
तभी दूसरा कार्यकर्ता चिल्लाया,
कि "डिब्बे में डिब्बा, डिब्बे में चूहा,
फूफाजी के साथ नाचेंगी नेताजी की बुआ"

इस घोषणा के साथ ही सब खुश नज़र आते हैं,
तो चलिए अब कैमरा 'फेरों' की तरफ घुमाते हैं.

यहाँ दूल्हा-दुल्हन नए रिवाज़ की परिभाषा गढ़ रहे हैं,
हर फेरे के साथ-साथ अपना 'घोषणा-पत्र' पढ़ रहे हैं.
जैसे कि 'अब एक-दूसरे के सहयोग से  ही दोनों आगे बढ़ेंगे,
इसलिए अगला चुनाव अलग-अलग सीटों से लड़ेंगे'
और 'बच्चे का नाम 'अजय' होगा या 'विजय' होगा,
ये भी दोनों परिवारों की संयुक्त बैठक में तय होगा'

फिर अग्नि को साक्षी मानकर दोनों ने गठबंधन का वचन लिया,
और घरवालों से जब आशीर्वाद माँगा, तो उनने भी सिर्फ 'आश्वासन' दिया.

अब ये विचार का विषय है कि ये शादी हुई या समझौता हुआ,
बहरहाल, अभी के लिए ये कार्यक्रम यहीं समाप्त हुआ.

PENNED BY: ADARSH JAIN

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