Monday 8 April 2019

मुश्किल होगी पर जाना होगा

अब यहाँ से किस ओर ले जाने,
फिर आयी है ये भोर जगाने,
नई चुनौतियों की किताब लेकर,
फिर नई मंज़िल का ख्वाब लेकर,
पहनकर घड़ी सामने खड़ी है,
बड़ी जल्दी है, बड़ी हड़बड़ी है.

मुझे भी अब नई उड़ानें भरने,
फिर दुनिया को साबित करने,
नींद से खुद को जगाना होगा,
मुश्किल होगी पर जाना होगा.

इन पुरानी राहों पर चलते चलते,
फिसलते, गिरते, उठते, संभलते,
जाने कब हस्ती जवान हो गयी,
हर पत्थर से मेरी पहचान हो गयी,
मैंने देखा है इनका कोना-कोना,
इन्हें पता है मेरा, हँसना-रोना.

मगर अब नए कर्त्तव्य निभाने,
उन नई राहों से रिश्ता बनाने,
इनसे मोह अपना छुड़ाना होगा,
मुश्किल होगी पर जाना होगा.

कुछ ऐसे मुझको यहाँ यार मिले,
पराये लोगों में अपने किरदार मिले,
जो माहौल जमा दें हर महफ़िल में,
जो घर बना लें सबके दिल में,
ज़िन्दगी की शक्ल में त्यौहार हैं वो,
मेरा अपना अनोखा परिवार हैं वो.

सबको अब अलविदा कहने,
एकांत नई दुनिया में रहने,
बावरे इस मन को मनाना होगा,
मुश्किल होगी पर जाना होगा.

मेरी जितनी कहानी जितने किस्से हैं,
अधिकतर सब यहीं के हिस्से हैं,
हर अंदाज़ जो भरा है मुझमें,
रंग यहीं का बिखरा है मुझमें,
होगा ज़िक्र जब भी, किसी बात में,
आएगी हँसी, आँसुओ के साथ में.

बाँधकर अब यादें, एक गठरी में
बस जाने किसी नई नगरी में,
कदमों को अपने उठाना होगा,
मुश्किल होगी पर जाना होगा.

- आदर्श जैन

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