Friday 11 October 2019

नया तरीका खोज लिया मैंने...

इस अफ्साने का भी अंजाम सोच लिया मैंने,
छलकने से पहले आंखों को पोंछ लिया मैंने,

मैं एक ख्वाब को हकीकत मानने ही वाला था,
ठीक हुआ जो नींद में खुद को नोंच लिया मैंने।

मुझे याद नहीं तुम्हारा दिया ज़ख्म कौनसा था,
इसीलिए सारे ज़ख्मों को ही खरोंच लिया मैंने।

ज़ुबां खोलता तो बात खामखां और बढ़ जाती,
शिकवे बहुत थे पर होठों को दबोच लिया मैंने।

बिना उलझनों के तो ज़िंदगी बेरंग हो चली थी,
उलझने को फिर नया तरीका खोज लिया मैंने।

- आदर्श जैन

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