Monday 7 October 2019

एकतरफा आशिक़ का जनाज़ा

सारी प्रेम कथाएं हार गईं,
एक आशिक के जुनून से,
एकतरफा आशिक़ी में जब उसने,
सैकड़ों खत लिखे अपने खून से
खतों का जवाब न आने पर भी,
कभी उसका जुनून नहीं हारा,
अफसोस मगर एक दिन,
खून की कमी से मर गया, बेचारा!

उसके दोस्तों ने फिर फैसला किया,
कि न मातम होगा, न बैंड बाजा होगा,
आशिक़ की रूह को सुकून मिले,
कुछ ऐसा उसका जनाज़ा होगा।
इसीलिए कब्रिस्तान के रास्ते में,
बेवफ़ाई भरे शेर सुनाएंगे,
और जहां उसकी मोहब्बत का घर है,
जनाज़ा उसी गली से ले जाएंगे।
न ऐसा आशिक़, न ऐसे दोस्त,
कभी किसी ने देखे होंगे,
रास्ते में जनाज़ा वहीं रुकेगा,
जहां देसी शराब के ठेके होंगे।

तो जून की कड़कड़ाती धूप में,
बोतल छिपाए कुर्ते के भीतर,
कंधा देने वाले चारों दोस्त,
मदहोश थे जाम पीकर।
तभी एक दोस्त ने फरमाया,
नशे में चूर होकर शेर सुनाया,
कि,
तेरे इश्क़ ने ग़ालिब हमें निकम्मा कर डाला,
तेरे इश्क़ ने ग़ालिब हमें निकम्मा कर डाला,
अंग्रेज़ी की शैम्पेन बोतल थे हम,
हमें देसी दारू का खंबा कर डाला।
दूसरा दोस्त बोला इसके बाद,
बाकी सब ने कहा इरशाद, इरशाद!
वह बोला,
अर्ज़ किया है, अर्ज़ किया है,
अर्ज़ किया है, अर्ज़ किया है,
आलम तो ये है जनाब,
वो खंबा खरीदने के लिए भी,
कर्ज लिया है, कर्ज लिया है।
तभी गुज़रा जनाज़ा,
मुर्दे के crush की गली से,
तीसरा दोस्त बोला बड़ी बेकली से,
हजरात, हजरात, हजरात,
न कोई जनाज़ा है ये, न कोई बारात,
इसे तुम जागरूकता का अभियान समझना,
पर आशिक़ी को न दोस्तो, आसान समझना,
आशिकों को अक्सर मोहब्बत में भरम रहता है,
यारो! इस गली में ही वो बेवफा सनम रहता है
और दोस्तो, हमेशा ध्यान रहे,
आशिक़ी से ऊपर तुम्हारी जान रहे,
क्यूंकि इस सफर में वही ज़िंदा बच पाए,
जो सख्त रहे, सतर्क रहे, सावधान रहे।

इससे पहले चौथा दोस्त भी कुछ सुनाता,
उन चारों ने एक बाइक से जनाजा ठोक दिया,
और वहीं चौराहे पर खड़े एक ट्रैफिक हवलदार ने,
उनका रास्ता रोक लिया।

वह बोला कि इतना लहराते हुए किधर जा रहे हो?
कमाल है, चार ड्राइवर एक ही सवारी ले जा रहे हो।
हेलमेट भी नहीं पहना है और दारू भी पी रक्खी है,
कागज भी नहीं होंगे, ये बात भी बिल्कुल पक्की है।
चलो, अब तुम्हें भी सड़क का कानून पता लगेगा,
ये जनाज़ा साइड में लगाओ, चालान कटेगा।

चालान की राशि सुनते ही, चारों का नशा उतर गया,
मुर्दा भी जनाजे से उठ गया, कि इतना डर गया।
उसने फिर एक जरूरी राज खोला,
वो उठते ही बोला,
कि एकतरफा आशिक़ी में,
हर कदम पर ही जुर्माना भरना है,
ये कोई साधारण आशिक़ी नहीं है,
यहां जीने से महंगा तो मरना है।

- आदर्श जैन

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