Monday 14 October 2019

गा रही है चांदनी...

दरमियां सारे फासले, मिटा रही है चांदनी,
चांद लिख रहा है 'प्रेम' , गा रही है चांदनी,

सच देखेगी तो सच से डर जाएगी दुनिया,
दाग़ चंद के इसलिए छिपा रही है चांदनी।

अंधेरे से न टकराकर, गिर पड़ें नन्हें सितारे,
आसमां में इक चांदनी, बिछा रही है चांदनी।

रातभर जलकर थके उन दीपकों की खातिर
नई सुबह को फिर बुलाने, जा रही है चांदनी।

तुम्हारी आंखों को सब यहां, देख रहे हैं ऐसे,
तुम्हारी आंखों से ही जैसे, आ रही है चांदनी।

- आदर्श जैन

Saturday 12 October 2019

भौकाल तुम्हारे भाई का

तीन लोकों में मचा हुआ है, बवाल तुम्हारे भाई का,
तुम तो जानते ही हो यार, भौकाल तुम्हारे भाई का।

भूत, प्रेत, दानव, राक्षस, सब तुम्हारे भाई से डरते हैं,
कई असुर तो तुम्हारे भाई के फ्रिज की बोतलें भरते हैं।
तुम्हारा भाई हंसता है तो ऊपर सितारे ज़िंदा रहते है,
तुम्हारे भाई के रोने को दुनियावाले बरसात कहते हैं।
चांद और सूरज करते हैं चौकीदारी तुम्हारे भाई की,
निभाते हैं ये सुरक्षा की जिम्मेदारी तुम्हारे भाई की।
एक इशारे में चलते वक़्त के क़दम बदल देता है,
तुम्हारा भाई टीवी के रिमोट से मौसम बदल देता है।
भगवान फोन करके पूछता है हाल तुम्हारे भाई का,
तुम तो जानते ही हो यार, भौकाल तुम्हारे भाई का।

जुगनुओं के हाथों में तुम्हारे भाई के नाम के पर्चे हैं,
अप्सराओं की महफ़िल में तुम्हारे भाई के ही चर्चे हैं।
स्वर्ग की हरेक परी तुम्हारे भाई को उड़ के देखती है,
सड़क पर हर सुंदरी तुम्हारे भाई को मुड़ के देखती है
हर लड़की करती है मन में ख्वाहिश तुम्हारे भाई की,
कायनात में सबको ही है फरमाइश तुम्हारे भाई की।
चींटियां हो जाती है लट्टू जैसे किसी मिठाई पर,
ऐसे कन्याओं की माएं तक लट्टू है तुम्हारे भाई पर।
किस किस की मांग भरे, है सवाल तुम्हारे भाई का,
तुम तो जानते ही हो यार, भौकाल तुम्हारे भाई का।

पहले ही पेज पर छपता है हर रोज़ अख़बारों में,
हर क्षेत्र में झंडे गाड़े हैं तुम्हारे भाई के रिश्तेदारों ने।
तैरकर समंदर पार किया है तुम्हारे भाई के मामा ने,
देवों तक को उधार दिया है तुम्हारे भाई के नाना ने।
तुम्हारे भाई के चाचा पूरी फौज़ से अकेले जीते थे,
तुम्हारे भाई के पापा के संग खेले शेर और चीते थे।
तुम्हारे भाई के एक फूफा को सारा ज्ञान हासिल था,
ब्रह्मांड की खोज में तुम्हारे भाई का ताऊ शामिल था।
हर कोई हैरान है देखकर, कमाल तुम्हारे भाई का,
तुम तो जानते ही हो यार, भौकाल तुम्हारे भाई का।

- आदर्श जैन

Friday 11 October 2019

नया तरीका खोज लिया मैंने...

इस अफ्साने का भी अंजाम सोच लिया मैंने,
छलकने से पहले आंखों को पोंछ लिया मैंने,

मैं एक ख्वाब को हकीकत मानने ही वाला था,
ठीक हुआ जो नींद में खुद को नोंच लिया मैंने।

मुझे याद नहीं तुम्हारा दिया ज़ख्म कौनसा था,
इसीलिए सारे ज़ख्मों को ही खरोंच लिया मैंने।

ज़ुबां खोलता तो बात खामखां और बढ़ जाती,
शिकवे बहुत थे पर होठों को दबोच लिया मैंने।

बिना उलझनों के तो ज़िंदगी बेरंग हो चली थी,
उलझने को फिर नया तरीका खोज लिया मैंने।

- आदर्श जैन

Monday 7 October 2019

एकतरफा आशिक़ का जनाज़ा

सारी प्रेम कथाएं हार गईं,
एक आशिक के जुनून से,
एकतरफा आशिक़ी में जब उसने,
सैकड़ों खत लिखे अपने खून से
खतों का जवाब न आने पर भी,
कभी उसका जुनून नहीं हारा,
अफसोस मगर एक दिन,
खून की कमी से मर गया, बेचारा!

उसके दोस्तों ने फिर फैसला किया,
कि न मातम होगा, न बैंड बाजा होगा,
आशिक़ की रूह को सुकून मिले,
कुछ ऐसा उसका जनाज़ा होगा।
इसीलिए कब्रिस्तान के रास्ते में,
बेवफ़ाई भरे शेर सुनाएंगे,
और जहां उसकी मोहब्बत का घर है,
जनाज़ा उसी गली से ले जाएंगे।
न ऐसा आशिक़, न ऐसे दोस्त,
कभी किसी ने देखे होंगे,
रास्ते में जनाज़ा वहीं रुकेगा,
जहां देसी शराब के ठेके होंगे।

तो जून की कड़कड़ाती धूप में,
बोतल छिपाए कुर्ते के भीतर,
कंधा देने वाले चारों दोस्त,
मदहोश थे जाम पीकर।
तभी एक दोस्त ने फरमाया,
नशे में चूर होकर शेर सुनाया,
कि,
तेरे इश्क़ ने ग़ालिब हमें निकम्मा कर डाला,
तेरे इश्क़ ने ग़ालिब हमें निकम्मा कर डाला,
अंग्रेज़ी की शैम्पेन बोतल थे हम,
हमें देसी दारू का खंबा कर डाला।
दूसरा दोस्त बोला इसके बाद,
बाकी सब ने कहा इरशाद, इरशाद!
वह बोला,
अर्ज़ किया है, अर्ज़ किया है,
अर्ज़ किया है, अर्ज़ किया है,
आलम तो ये है जनाब,
वो खंबा खरीदने के लिए भी,
कर्ज लिया है, कर्ज लिया है।
तभी गुज़रा जनाज़ा,
मुर्दे के crush की गली से,
तीसरा दोस्त बोला बड़ी बेकली से,
हजरात, हजरात, हजरात,
न कोई जनाज़ा है ये, न कोई बारात,
इसे तुम जागरूकता का अभियान समझना,
पर आशिक़ी को न दोस्तो, आसान समझना,
आशिकों को अक्सर मोहब्बत में भरम रहता है,
यारो! इस गली में ही वो बेवफा सनम रहता है
और दोस्तो, हमेशा ध्यान रहे,
आशिक़ी से ऊपर तुम्हारी जान रहे,
क्यूंकि इस सफर में वही ज़िंदा बच पाए,
जो सख्त रहे, सतर्क रहे, सावधान रहे।

इससे पहले चौथा दोस्त भी कुछ सुनाता,
उन चारों ने एक बाइक से जनाजा ठोक दिया,
और वहीं चौराहे पर खड़े एक ट्रैफिक हवलदार ने,
उनका रास्ता रोक लिया।

वह बोला कि इतना लहराते हुए किधर जा रहे हो?
कमाल है, चार ड्राइवर एक ही सवारी ले जा रहे हो।
हेलमेट भी नहीं पहना है और दारू भी पी रक्खी है,
कागज भी नहीं होंगे, ये बात भी बिल्कुल पक्की है।
चलो, अब तुम्हें भी सड़क का कानून पता लगेगा,
ये जनाज़ा साइड में लगाओ, चालान कटेगा।

चालान की राशि सुनते ही, चारों का नशा उतर गया,
मुर्दा भी जनाजे से उठ गया, कि इतना डर गया।
उसने फिर एक जरूरी राज खोला,
वो उठते ही बोला,
कि एकतरफा आशिक़ी में,
हर कदम पर ही जुर्माना भरना है,
ये कोई साधारण आशिक़ी नहीं है,
यहां जीने से महंगा तो मरना है।

- आदर्श जैन

शक्कर हैं!

बातें उसकी बात नही हैं, शक्कर हैं। सोच उसे जो गज़ल कही हैं, शक्कर हैं। बाकी दुनिया की सब यादें फीकी हैं, उसके संग जो याद रही हैं, शक्कर हैं।...