Tuesday 24 March 2020

छंद


पशु पालो, पक्षी पालो, भरम न पालो कोई,
कैसे सोचा आपने कि, हम टिक जाएंगे।

कल उनके साथ थे, आज इनके पास हैं,
तीसरे के संग हम, कल दिख जाएंगे।

लोगों से किए वादों को, चुनावों के संवादों को,
हम जैसे राजनेता, झूठ लिख जाएंगे।

रुपया ही ईमान है,  पैसा ही भगवान है,
ज़्यादा देगा कोई गर, फिर बिक जाएंगे।

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चेहरा जैसे चंद्रमा, सलोनी भाव - भंगिमा,
कैसी सुंदर उसकी, चाल मत पूछिए।

नयनों से हंसकर, सादगी से सजकर
फेंका कैसा मोहनीय, जाल मत पूछिए।

होता कैसा प्रेम - असर, है पूछना ही अगर,
हर बात में बाल की, खाल मत पूछिए।

जिसके प्रेम में मिटे, उसी के प्रेम में पिटे,
कैसा है अब हमारा, हाल मत पूछिए।

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कहते हो भूल जाएँ, कहो कैसे भूल जाएँ,
बार बार उन्हें याद, करती हिचकियां।

भावना शून्य मन में, अतीत के गगन में,
स्मृतियों के नए रंग, भरती हिचकियां।

किस्मत के सितारों से, आशंकित विचारों से,
पल पल हर पल, डरती हिचकियां।

वर्तमान से हारती, भविष्य को नकारती,
आशाओं से ही जीवित, मरती हिचकियां।

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- आदर्श जैन

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शक्कर हैं!

बातें उसकी बात नही हैं, शक्कर हैं। सोच उसे जो गज़ल कही हैं, शक्कर हैं। बाकी दुनिया की सब यादें फीकी हैं, उसके संग जो याद रही हैं, शक्कर हैं।...