Saturday 28 March 2020

बस और ट्रक: एक प्रेमकथा

किसी बड़े आम दिन की,
बड़ी खास शाम में,
मध्यप्रदेश राज्य परिवहन की एक बस,
खड़ी थी ट्रैफिक जाम में।
गाड़ियों की कतार थी लंबी,
इसलिए इंतजार भी बड़ा था,
वहीं, All India Permit वाला एक ट्रक,
बस के ठीक आगे खड़ा था।
बस ने देखा उसे,
अपनी Headlights की नज़र से,
वहीं उसने भी खूब निहारा बस को,
अपने Rear view Mirror से,
तो नई - नई जवानी का,
नया-नया ये खुमार था,
बस और ट्रक के बीच शायद,
पहली नजर वाला प्यार था।
बस ट्रक के,
Advertisements वाले टैटू पर फिदा थी
वहीं ट्रक को भायी बस की,
सादगी वाली अदा थी।
न कोई साज - श्रृंगार,
फिर भी कितनी आकर्षक,
खयालों के बादलों में कहीं,
खो गया था ट्रक,
इतना कि उसने Family Planning के,
सारे आयाम तक सोच लिए,
यहाँ तक कि होने वाले दोपहिया वाहनों के,
नाम तक सोच लिए।
होश आया तो पाया,
पहियों के नीचे तो ज़मीन है,
वहीं टैटू से नज़र हटी तो बस ने देखा,
उसका प्यार शायरियों का भी शौकीन है।
इश्क़ का रंग बस पर,
तब और गहरा चढ़ा,
जब उसने ट्रक पर ये लिखा पढ़ा,
कि " चलती है गाड़ी तो उड़ती है धूल,
मेरी जान का मुखड़ा जैसे गुलाब का फूल।"
" तेरी लिए गोरी,
लड़ जाऊंगा संसार से,
हमारी मोहब्बत को दुनियावालों,
देखो मगर प्यार से।"
बस ने मुस्कुराकर अपनी Headlights को झुकाया,
कि वहीं ट्रक पर ये लिखा पाया,
"फूलों की माला, मालाओं का हार हो जाएगा,
हंस मत पहली, प्यार हो जाएगा।"
इस नयन - विनिमय में न जाने कब,
शाम का सूरज भी ढल गया।
समय कुछ ऐसा बीता,
कि रुका हुआ जाम आगे बढ़ गया।
इसके बाद वे दोनों,
अपने-अपने रास्तों पर जाने लगे,
इधर बस महोदया ने Horn बजाया,
और उधर श्रीमान ट्रक,
विदाई का संगीत बजाने लगे।
अपनी steering पर रखकर पत्थर,
बामुश्किल बस आगे बढ़ी,
तभी उसकी नजर,
ट्रक पर लिखी एक और शायरी पर पड़ी।
लिखा था,
"ऐ बुलबुल शोर मत कर,
आज ग़म की रात है,
आयेंगे तेरे शहर में बस,
दो-चार दिन की बात है।"
इस बात को,
ट्रक का दिया हुआ वादा समझकर,
बस ने देखा उसे आखिरी बार,
पीछे पलटकर।
इस उम्मीद में कि अगली बार,
खुलकर Engine से Engine की बात होगी,
किसी नुक्कड़, चौराहे, हाईवे या जाम में,
फिर जरूर कोई मुलाकात होगी।
इस मुलाकात का सपना पर,
हकीकत से बहुत दूर था,
किस्मत को तो शायद,
कुछ और ही मंजूर था।
किसने सोचा था कि अगली सुबह,
भयानक सांप्रदायिक दंगे होंगे,
इंसान के हाथ इंसान के खून से रंगे होंगे।
पूरा मुल्क हिंसा की आग में जल रहा होगा,
दिलों में आक्रोश होगा,
नसों में लहू उबल रहा होगा।
नफ़रत की आंधी मानवता को निगल जाएगी,
किसने सोचा था इन दंगो में,
वो बस भी जल जाएगी।
ट्रक को जब खबर लगी,
तो उसकी आरज़ू मानो Diesel में बह गई,
और ये प्रेम कथा भी,
सभी महान प्रेम कथाओं की तरह,
अधूरी ही रह गई।

- आदर्श जैन

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