Sunday, 13 January 2019

कोई होशियारी तो है..


इश्क़ सही, इश्क़ की खुमारी तो है,
हो हो मुझे कोई बीमारी तो है.

ये अंदाज़ मसख़री का महज़ एक फरेब है,
कहीं कहीं मुझमेंकोई होशियारी तो है.

दिल को तो तुमसे हैं लाख शिकायतें मगर,
गला अबतक तुम्हारी यादों का आभारी तो है.

उस रात की आँधियों में उड़ गए सब ख्वाब मेरे,
फिर बेजान ही सही, ज़िन्दगी जारी तो है.

भले इस दुनिया में हमें मयस्सर नहीं कुछ भी,
खैर जैसी भी है, ये दुनिया हमारी तो है.

माना कि वक़्त मौत का मुअय्यन नहीं अबतक,
पर हर रोज़ थोड़ा मरने की, तैयारी तो है.

-आदर्श जैन


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