कहां रहता है ध्यान तेरा, खुद से क्या बुदबुदाता है,
ये बिन बताए आजकल तू किससे मिलने जाता है,
कितना भी छिपा लूं इश्क़ मगर मां पूछ ही लेती है,
कौन है वो लड़की, बार बार किसका फोन आता है।
दिमाग कहता है कि तुम्हारा कोई ख़याल ना लाऊं,
दिमाग की सुनते ही जाने क्यूं ये दिल बैठ जाता है।
जाने कैसे लोग इस शहर में शब-ए-हिज्र काटते होंगे,
शुक्र है मेरा दिल मुझे वस्ल की कहानियां सुनाता है।
-Adarsh Jain
ये बिन बताए आजकल तू किससे मिलने जाता है,
कितना भी छिपा लूं इश्क़ मगर मां पूछ ही लेती है,
कौन है वो लड़की, बार बार किसका फोन आता है।
दिमाग कहता है कि तुम्हारा कोई ख़याल ना लाऊं,
दिमाग की सुनते ही जाने क्यूं ये दिल बैठ जाता है।
जाने कैसे लोग इस शहर में शब-ए-हिज्र काटते होंगे,
शुक्र है मेरा दिल मुझे वस्ल की कहानियां सुनाता है।
-Adarsh Jain
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