Monday 9 September 2019

कहानी लेकर आए हो...

होठों पर चुप्पी, आंखों में पानी लेकर आए हो,
तुम आज फिर चेहरे पर हैरानी लेकर आए हो

अबतक सुनाए हुए तुम्हारे सारे किस्से झूठे थे,
सच बोलो न फिर कोई कहानी लेकर आए हो।

इस बाज़ार में तो चालाकी के सिक्के चलते हैं,
तुम बड़े नादान हो जो नादानी लेकर आए हो।

जूझते हुए जब मुश्किलों से काट दी है पूरी उम्र,
तब कहते हो कि थोड़ी, आसानी लेकर आए हो।

प्यासी थी जब ये धरती तब तुम कहां थे, बादल!
बाढ़ आयी है अब तो पूरी रवानी लेकर आए हो।

वही सुकून खोजते कई पीढ़ियां हुई हैं रुखसत,
जिसे खोजने तुम पूरी जिंदगानी लेकर आए हो।

- आदर्श जैन

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